नीरज कुमार महंत
ये कुछ लोग जो जीवन की रक्षा करते हैं, सीमा पर या घर के आस पास सड़कों पर इनके सम्मान में तो हर इंसान का सर झुकना चाहिए। हालांकि कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो समाज में हमारे बीच रहकर हमारी रक्षा करते हैं इनको सम्मान देना ना ही हमारा कर्तव्य है बल्कि इनके हितों की रक्षा करना भी हमारी ही ज़िम्मेदारी है।
आज 1 जुलाई के दिन महान डॉक्टर और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री स्वर्गीय बिधानचंद्र रॉय जी का जन्मदिन और पुण्यतिथि दोनों ही हैं। उन्होंने चिकित्सा के क्षेत्र में अत्यंत ही महत्वपूर्ण योगदान दिया है.अपने कुशल और प्रभावशाली नेतृत्व और उनकी दूर व्यापी दृष्टि के लिए उन्हें पश्चिम बंगाल का आर्किटेक्ट भी कहा जाता है।
साल 1961 में उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया. उन्हीं की याद में उस समय की केंद्र सरकार ने साल 1991 में नेशनल डॉक्टर्स डे मनाने का ऐलान किया था. तब से हर साल एक जुलाई को उनके सम्मान में और उनको श्रद्धांजलि देने के लिए नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जा रहा है।
हम सब जानते हैं कि चिकित्सा पद्धति एक ऐसा धर्म है जहां न तो जात – पात देखा जाता है और न ही रंग भेद, डाॅक्टरों की इसी समर्पण की भावना को देख मन में उन्हें महान कहने की इच्छा अपने आप ही आ जाती है।
मगर इस बात पर भी कोई पर्दा नहीं है कि कुछ बड़े अस्पताल डाॅक्टरों की साख पर सवाल खड़े करने पर मजबूर कर देते हैं। आए दिन ऐसे मामले सामने आते रहे हैं कि बहुत से अस्पतालों में डॉक्टरों की लापरवाही और बेलगाम पैसे ऐंठने की वजह से लोगों को जान गंवानी पड़ती है।
ये कारनामे कुछ छोटे और फर्जी नर्सिंग होम में भी होते हैं। चिकित्सा एक सेवा धर्म है जिसमें माहिर होने के लिए लोग सालों साल कड़ी मेहनत करते हैं और तब जा कर के उन्हें डाॅक्टर की उपाधि प्राप्त होती है।
कुछ लोगों के लालच और लापरवाही से पूरी चिकित्सा पद्धति शर्मसार होती है। ऐसे लोगों से अनुरोध है कि इसे सिर्फ़ कमाने का जरिया ना समझें और अपने अंदर की मानवता को जागृत कर के सेवा भाव से काम करें।