रांची, 4 फरवरी 2018: टीएसपी के बजट का अलग-अलग मदों में डाइवर्सन बंद हो और उसके पैसे का इस्तेमाल आदिवासियों के सीधे विकास में हो, उक्त बातें नेषनल कैम्पेन आॅन दलित ह्यूमन राईसट्स के प्रदेष संयोजक और मिथिलेष कुमार ने अषोक नगर रांची स्थित भोजन के अधिकार अभियान, कार्यालय में एक प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान कहीं।
उन्होंने कहा कि आदिवावी उपयोजना के पैसे का इस्तेमाल सामान्य खर्चों से जैसे सड़क के चैड़िकरण, भवनों का निर्माण, हवाई अड्डे का निर्माण। जिला मुख्यालयों में रनवे का निर्माण स्वर्ण रेखा परियोजना में निर्माण कार्य पंूति परिसंपत्ति का निर्माण गाड़ियों का क्रय और हर विभागों का कम्यूटरीकरण, वेतन एवं प्रषासनिक व्यय, ग्रेटर रांची डेवल्पमेंट एजेंसी, फिल्म निर्माताओं को वित्तीय सहायता, कारा आधुनिकिकरण, पुलिस आधुनिकिकरण, कोर्ट परिसर का निर्माण में 15190 करोड़ रुपये का डाइर्वसन किया गया है, वहीं केंद्रीय बजट में रांची-विजय, चारोधाम को जोड़ने वाले पथ का निर्माण, भीम एप को अनुदान देरक करोड़ रुपये का डाइर्वसन किया गया है। भारत सरकार ने आदिवासियों के विकास हेतू सिर्फ 39 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया है, जहां उन्हें 71 हजार करोड़ रुपये का आवंटन करना था, तो वहीं केंद्रीय बजट चाय बगान के आदिवासियों के सामाजिक सुरक्षा हेतू सिर्फ दो करोड़ रुपये का आवंटन ही किया गया है, वहीं दूसरी ओर आंध्रप्रदेष व तलंगना आदिवासी विष्व विद्यालय के लिए मात्र 1 करोड़ का आवंटन किया गया है, पोस्ट मैट्रिक छात्रवृति जो देष का सबसे पूराना और प्रत्यक्ष लाभ देने वाली योजना है, उसमें सिर्फ 15 सौ करोड़ रुपये का अवंटन किया गया है, जबकि इसके लिए कम से कम 3 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया आवष्यकता थी।
वहीं भोजन के अधिकार अभियान व सुप्रिम के कमिषनर के राज्य पूर्व सलाहकार बलराम जी ने कहा कि बजट में आवंटित योजनाओं के प्रकृति को देखने से पता चलता है कि टीएसपी के धन राषि का उपयोग कंपनियों, पंूतिपतियों और ठेकेदारों को लाभ पहुचाने के लिए किया गया है। इस आवंटन से यहां के आदिवासियों का सामाजिक, सांस्कृतिक, षैक्षणिक और आर्थिक विकास से कोई संबंध नही है। वहीं यूनाईटेड मिल्लि फोरम के जेनरल सेक्ररेटरी अफजल अनिष ने कहा कि केंद्रीय व झारखंड के बजट मुसलिम व अल्पसंख्यकों के साथ भेद-भाव बरता गया है, उन्होंने कहा के उनके सामाजिक, आर्थिक और षैक्षणिक विकास के लिए बजट में कोई खास प्रावधान नहीं किया गया। वहीं भोजन के अधिकार अभियान के धीरज कुमार ने कहा कि सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए आदिवासी उपयोजना की राषि का उपयोग किया गया है। प्रेस वर्ता में सरकार से मांग की गयी कि झारखंड में टीएसपी और एससीएसपी कानून बने, इस कानून को लागू किया जाये, ताकि जिम्मेवार लोगों को कटघरे में खड़ा किया जा सके। सरकार को इसके लिए अलग से बजट का प्रावधान किया जाना चाहिए। इस प्रेस वार्ता में नेषनल कैम्पेन आन आदिवासी राईट्स के जेरोम जेराल्ड कुजूर, राकेशन रोषन किड़ो, फिलीप कुजूर।
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