रांची : धनबाद नगर निगम में 14वें वित्त आयोग के अंतर्गत लगभग 200 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच की अनुमति दे दी गयी है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एसीबी को मामले में पीई (Preliminary Enquiry) दर्ज करने की अनुमति दी है.
बता दें कि जांच के लिए बनी समिति ने मुख्य आरोपी मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल और नगर आयुक्त को बनाया है. बताया जा रहा है कि 13 सड़कों के डीपीआर के लिए 156.33 करोड़ प्राक्कलित राशि थी. इन 40 सड़कों में से 27 सड़कों का प्राक्कलन नगर निगम के ही तकनीकी पदधिकारियों ने बनाया. डीपीआर बनाने के एवज में किसी भी परामर्शी एजेंसी को भुगतान नहीं किया गया है. लेकिन 13 सड़कों के निर्माण के लिए एजेंसी मेसर्स मास एडं वॉयड को भुगतान किया गया.
यह भुगतान सड़क के साथ नाली, एलईडी लाइट, पेबर ब्लॉक आदि का प्रावधान होने की वजह से किया गया. जिसकी कुल प्राक्कलित राशि 156.33 करोड़ रुपये है. लेकिन इन सड़कों के डीपीआर की जांच से पता चला कि किसी भी डीपीआर में डिजाइन संलग्न नहीं है. इसके अलावा डीपीआर में तकनीकी रिपोर्ट भी नहीं है. साथ ही सड़कों के निर्माण में कई खामियों और तकनीकी प्रावधानों के उल्लंघन की शिकायत की गयी है.
अच्छी सड़कों को तोड़ कर कराया निर्माण
आरोप है कि धनबाद नगर निगम के महापौर के निर्देश में ऐसा किया गया. मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल के निर्देश पर पहले से बेहतर पीसीसी सड़कों को तोड़ कर प्राक्कलित राशि कई गुणा बढ़ा कर फिर से सड़क का निर्माण करा दिया गया. साथ ही परामर्शी एजेंसी मास एडं वॉयड को परामर्शी शुल्क के रूप में बढ़ी हुई राशि दी गयी. जो एक मोटी रकम थी. और रकम की 50 प्रतिशत राशि महापौर द्वारा वसूले जाने का आरोप है. जिन पीसीसी सड़कों का निर्माण कराया गया है, उसकी गुणवत्ता निम्नस्तरीय है.
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