झारखंड में बीसी-वन और बीसी टू कोटि के अधिसूचित कुल 36 जातियों का नाम केंद्रीय ओबीसी की सूची में सम्मिलित करने के लिए केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय से अनुरोध करने के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्वीकृति दे दी है। झारखंड में ये सभी जातियां बीसी-वन और बीसी-टू में शामिल है लेकिन केंद्रीय ओबीसी की सूची में शामिल नहीं होने की वजह से इन्हें केंद्र सरकार और केंद्रीय उपक्रमों की नौकरियों में आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
इन जातियों को शामिल करने का भेजा जा रहा प्रस्ताव
- कुड़मी
- माहिस्य
- मगदा -गौड़ महाकुड़ /गोप, ग्वाला
- चंद्रवंशी/ रवानी
- हजाम
- बारी
- बागची
- राजभट
- शाह, फ़क़ीर, मदार, देवान
- शेख
- कुम्हार/ कुंभकार
- सोय
- तिली /एकादश तिली /द्वादश टिली /एकादश तेली/ द्वादश तेली
- वागाल/ खंडवाल खंडुवाल खंडाइत
- खैरा
- परघा/ परीधा/पैरधा / पलीआर
- मड़ैया
- कुलु/गोराई
- सुंडी/
- वीयार
- वेश बनिया एवं एकादश बनिया
- ग्वाला (मुस्लिम)
- जदुपतिया
- गोसाई, गिरि सन्यासी ,अतित, अतिथ
- परथा
- बनिया { रॉकी एवं बियाहूत कलवार, जयसवाल, जैशवार, कमलापुरी, वैश्य, बनिया, माहुरी, बैस्य, बंगी वैश्य, वर्णवाल, गधबनिक/ गधबनिया /ओमर /उमर वैश्य /वर्णवाल/गंधबनिया / गंधबनिक/ ओमर/उमर वैश्य/ बनिया / बनवार
- घासी महाकुल /म्हकुल
- सुवर्ण वणिक अष्टलोही कर्मकार, स्वर्णकार
- सूत्रधार
- जैसवार कुर्मी एवं चंदेल कुर्मी
- राजभाट /ब्रह्मभाट
- वैष्णव
- पाइक
- चासा
- क्याली
- मलिक (मुस्लिम) शामिल है
क्या है आरक्षण पाने का नियम
राज्यों की ओबीसी की सूची अलग और केंद्र की ओबीसी की सूची अलग-अलग है। केंद्र की ओबीसी की सूची में जिन जातियों को शामिल किया गया है, उन्हें ही केंद्रीय सेवा या शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का लाभ मिलता है। इसलिए केंद्र की सूची में उन जातियों का नाम शामिल होना अनिवार्य है। यहां मालूम हो कि अलग-अलग राज्यों में ओबीसी की सूची शामिल जातियां भी अलग-अलग हुआ करती है। उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश में जायसवाल जाति के लोग ओबीसी में नहीं हैं जबकि झारखंड में हैं।