रिपोर्ट: बबूल शर्मा
धनबाद : आइआइटी आइएसएम (इंडियन स्कूल ऑफ माइंस) के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के विशेषज्ञों ने कोविड-19 वायरस की तेजी से संचरण की क्षमता को देखते हुए एक अल्ट्रावायलेट विकिरण (यूवीसी) आधारित कीटाणुनाशक कक्ष विकसित किया है.
यह मल्टी यूटीलिटी यूवीसी सेट्रलाइजर अल्ट्रावायलट विकिरणों के जरिए वायरस, बैक्टीरिया और कवक को नष्ट करने में सक्षम है. यह कक्ष किसी सतह पर सूक्ष्मजीवों के जीनोम में फोटोडिमेर्स उत्पन्न करके सॉर्स-कोविड-2 वायरस को खत्म कर सकता है.
इस प्रणाली को डिजाइन करने वाले टीम के प्रोजेक्ट इंचार्ज प्रोफेसर एआर दीक्षित ने बताया कि लॉकडाउन हटने पर सैकड़ों लोग सार्वजनिक स्थानों पर जाने लगेंगे. कार्यालयों, हवाई अड्डों, बस और ट्रेन स्टेशनों, शॉपिंग मॉल, मंदिरों और अन्य प्रतिष्ठानों पर आवागमन शुरू हो सकता है. ऐसे में कोरोना वायरस से संक्रमित होने का बड़ा खतरा उत्पन्न हो जाएगा. ऐसे में हमनें रोगाणुनाशक चेंबर जिसे सरल भाषा में बुद्धिमान कीटाणुनाशक कक्ष का निर्माण किया है.
अल्ट्रासोनिक सेंसरों से सुसज्जित पूरी तरह से स्वचालित रोगाणुनाशक चेंबर में तीन कीटाणुशोधन प्रक्रियाओं के साथ कक्ष बनाए गए हैं, जो वायरस को बेअसर करने में मौजूद अन्य समाधानों की तुलना में अधिक कुशल हैं.
श्री दीक्षित ने बताया कि ये स्वचालित रोगाणुनाशक चेंबर पूरी तरह से बंद हैं. इसमें जब कोई व्यक्ति प्रवेश करेगा तो उसके शरीर पर रोगाणुनाशक का छिड़काव होगा और वह रोगाणुओं से मुक्त हो जाएगा. इस पूरी प्रक्रिया में कुछ ही सेकेंड का वक्त लगता है. बताया, चेंबर का आकार ऐसा है कि इसे किसी भी कार्यालय या सार्वजनिक स्थल के प्रवेशद्वारा पर मेटल डिटेक्टर के साथ रखा जा सकता है और परिसर को कोविड-19 से मुक्त रखा जा सकता है.
सौ फीसदी सुरक्षा की गारंटी
कोरोना से लड़ने वाले इस खास चेंबर का निर्माण किया है. इसके जरिए किसी भी सार्वजनिक परिसर में आने वाले व्यक्तियों की पूरी सुरक्षा की सौ फीसदी गारंटी है. स्मार्ट मशीनें न केवल व्यक्ति को पूरी तरह से कीटाणुरहित करेंगी बल्कि स्पर्शोन्मुख रोगियों के मामले में डेटा का पता लगाने में भी सक्षम होंगी. जल्द ही इसे बाजार में उतारा जाएगा. इसे टीम में शामिल अन्य विशेषज्ञों प्रो.अरुण दयाल, आशीष कुमार और आशीष सिद्धार्थ ने डिजाइन किया है.